श्री रुद्राष्टकम् | Rudrashtakam | संस्कृत हिंदी अर्थ सहित
नमामीशमीशान निर्वाणरूपं
विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम्
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं
चिदाकाशमाकाशवासं भजेहम्
हे भगवन ईशान को मेरा प्रणाम ऐसे भगवान जो ...
The Kashi Vishwanath Temple, located in the sacred city of Varanasi, is among the oldest and most venerated Hindu temples in India. It serves ...
सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदाऽस्तु मे॥
जो कलश मदिरा से भरा हुआ है, रुधिर अर्थात् रक्त
सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥
स्कंदमाता, जो कार्तिकेय के साथ सिंह पर सवार हैं, अपने
चंद्र हासोज्ज वलकरा शार्दू लवर वाहना।
कात्यायनी शुभं दद्या देवी दानव घातिनि॥
देवी मां कात्यायनी, जो अपने हाथ
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता, लम्बोष्टी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी।
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा, वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥
माँ कालरात्रि का वर्ण रात्रि के समान
श्वेते वृषे समारुढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दघान्महादेवप्रमोददा॥
देवी महागौरी जो सफेद बैल पर सवार होती हैं, शुद्ध
सिद्धगन्धर्वयक्षाघैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥
देवी सिद्धिदात्री, जिन्हें सिद्ध, गंधर्व, यक्ष, देवताओं, दानवों आदि द्वारा पूजा जाता
आनृशंस्यमनुक्रोशः श्रुतं शीलं दमः शमः।
राघव शोभयन्त्येते षड्गुणाः पुरुषोत्तमं॥
दयालुता (क्रूर न होना) करुणा, विदवत्ता, सच्चरित्रता, आत्मा संयम,
शुभकरो ते भवतु आगामिवत्सरः।
आशा है आने वाला वर्ष आपके लिये शुभ हो।
May the coming year be
तथाप्येको रामः सकलमवधीद्राक्षसकुलं |
क्रियासिद्धिः सत्त्वे भवति महतां नोपकरणे॥
आपदाओं के विरुद्ध श्री राम ने सभी राक्षसों का
अप्प दीपो भव:
अपना प्रकाश स्वयं बनो।
Be the source of light by yourself.
किसी दूसरे से उम्मीद लगाने
धर्मज्ञो धर्मकर्ता च सदा धर्मपरायणः।
तत्त्वेभ्यः सर्वशास्त्रार्थादेशको गुरुरुच्यते॥
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धर्म को जाननेवाले, धर्म अनुसार आचरण करनेवाले, धर्मपरायण, और सब
उग्रायोग्रास्वरूपाय यजमानात्मने नमः।
महाशिवाय सोमाय नमस्त्वमृत मूर्तये॥
हे उग्ररूपधारी यजमान सदृश आपको नमस्कार है।
सोमरूप अमृतमूर्ति हे महादेव !
मनोबुद्ध्यहङ्कारचित्तानि नाहं न च श्रोत्रजिह्वे न च घ्रणनेत्रे।
न च व्योम भूमिर्न तेजो न वायुश्चिदानन्दरूपः शिवोऽहं शिवोऽहम्॥
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वसिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्य मुनीन्द्रदेवार्चितशेखराय। चन्द्रार्कवैश्वानरलोचनाय तस्मै वकाराय नम: शिवायः ॥
वसिष्ठ, अगस्त्य, गौतम आदि श्रेष्ठ मुनीन्द्र वृन्दों से तथा
रत्नाकरधौतपदां हिमालयकिरीटिनीम्।
ब्रह्मराजर्षिरत्नाढ्याम वन्देभारतमातम्॥
जिनके पैर समुद्र द्वारा धोए जाते हैं और जो हिमालय से सुशोभित हैं, वह,
ये वामी रोचने दिवो ये वा सूर्यस्य रश्मिषु।
येषामपसु सदस्कृतं तेभ्य: सर्वेभ्यो: नम:।।
सूर्य की किरणों में सूर्य
साहसे वसति जयश्री:
विजय साहस में ही निहित है
Victory lies in the courage
ईश्वरः परमः कृष्णः सच्चिदानन्दविग्रहः।
अनादिरादिर्गोविन्दः सर्वेकारणकारणम्॥
भगवान् तो कृष्ण हैं, जो सच्चिदानन्द स्वरुप हैं। उनका कोई आदि नहीं