दीपज्योतिः परब्रह्म दीपज्योतिर्जनार्दनः। दीपो हरतु मे पापं दीपज्योतिर्नमोऽस्तु ते।। दीप का प्रकाश परब्रह्म स्वरूप है। दीप की ज्योति