जो कलश मदिरा से भरा हुआ है, रुधिर अर्थात् रक्त से लथपथ है। ऐसे कलश को
स्कंदमाता, जो कार्तिकेय के साथ सिंह पर सवार हैं, अपने दो हाथों में कमल और एक
देवी मां कात्यायनी, जो अपने हाथ में चंद्रहास तलवार रखती हैं और शेर पर सवार हैं,
माँ कालरात्रि का वर्ण रात्रि के समान काला है परन्तु वे अंधकार का नाश करने वाली
देवी महागौरी जो सफेद बैल पर सवार होती हैं, शुद्ध सफेद वस्त्र पहनती हैं, प्रसन्नता प्रदान
देवी सिद्धिदात्री, जिन्हें सिद्ध, गंधर्व, यक्ष, देवताओं, दानवों आदि द्वारा पूजा जाता है, उनके हाथों में
हे कृष्णा, हमारे क्लेश का नाश करने वाले जिनके स्मरण मात्र से दुखों से मुक्ति मिलती
सत्य ने ही अंतरिक्ष में पृथ्वी को धारण कर रखा है। सत्य के प्रताप से ही
हे हाथी के जैसे विशालकाय जिसका तेज सूर्य की सहस्त्र किरणों के समान हैं। बिना विघ्न
जो एक दाँत से सुशोभित हैं, विशाल शरीर वाले हैं, लम्बोदर हैं, गजानन हैं तथा जो
किसी पुस्तक में रखी विद्या और दूसरे के हाथ में गया धन। ये दोनों जब जरूरत
जो सम्मान करने पर हर्षित न हों और अपमान करने पर क्रोध न करें, क्रोधित होने
न मुझे घृणा है, न लगाव है, न मुझे लोभ है, और न मोह, न मुझे
न मुझे मृत्यु का डर है, न जाति का भेदभाव, मेरा न कोई पिता है, न
मैं निर्विकल्प हूं, निराकार हूं| मैं चैतन्य के रूप में सब जगह व्याप्त हूं, सभी इन्द्रियों
मैं भगवान् सदाशिव के उस लिंग को प्रणाम करता हूं, जो लिंग ब्रह्मा, विष्णु व अन्य
स्वंय से अपनी रक्षा स्वंय करो।
Save yourself by yourself.
जो सर्वशक्तिमय, सर्वरूपधारी, सर्वव्यापक और सम्पूर्ण विद्याओं के प्रवक्ता हैं, उन भगवान् मयूरेश गणेश को मैं
शौर्य, तेज, धृति, दाक्ष्य (दक्षता), युद्ध से पलायन न करना, दान और ईश्वर भाव (स्वामी भाव)
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ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता
तुमको निशदिन सेवत, मैया जी को निशदिन सेवत
हरि विष्णु ...
हे गणेश! तुम्हीं प्रत्यक्ष तत्व हो। तुम्हीं केवल कर्ता हो। तुम्हीं केवल धर्ता हो। तुम्हीं केवल