गजाननाय महसे प्रत्यूहतिमिरच्छिदे । अपारकरुणापूरतरङ्गितदृशे नमः ॥ विघ्नरूप अन्धकार का नाश करनेवाले, अथाह करुणारूप जलराशि से तरंगति नेत्रों
सर्वसुगन्धिसुलेपितलिंगम् बुद्धिविवर्द्धनकारणलिंगम्। सिद्धसुरासुरवन्दितलिंगम् तत्प्रणमामि सदाशिवलिंगम्॥ मैं भगवान् सदाशिव के उस लिंग को प्रणाम करता हूं, जो सभी प्रकार
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जो सर्वशक्तिमय, सर्वरूपधारी, सर्वव्यापक और सम्पूर्ण विद्याओं के प्रवक्ता हैं, उन भगवान् मयूरेश गणेश को मैं
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हे गणाध्यक्ष रक्षा कीजिए, रक्षा कीजिये । हे तीनों लोकों के रक्षक रक्षा कीजिए। आप भक्तों
जो सर्वशक्तिमय, सर्वरूपधारी, सर्वव्यापक और सम्पूर्ण विद्याओं के प्रवक्ता हैं, उन भगवान् मयूरेश गणेश को मैं