ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् |
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ||
इस पूरे संसार के पालनहार, तीन नेत्र वाले
न किञ्चिदपि कुर्वाणः सौख्यैर्दुःखान्यपोहति।
तत्तस्य किमपि द्रव्यं यो हि यस्य प्रियो जनः॥
अपनों के हेतु बिना कुछ किये
उग्रायोग्रास्वरूपाय यजमानात्मने नमः।
महाशिवाय सोमाय नमस्त्वमृत मूर्तये ॥
हे उग्ररूपधारी यजमान सदृश आपको नमस्कार है ।
सोमरूप अमृतमूर्ति हे
छोटी चीजें भी समूह में (महान) काम सिद्ध कर सकती हैं।
The group of even small things
अपने कर्म को नियंत्रित करो ।
Control your karma.
मैं एक योद्धा हूँ।
I am a fighter.
केवल कार्य ही हमे परिभाषित करता है|
Only action will define us.
यदि समय से कोई कार्य न किया जाये तो वो समय ही उस कार्य की सफलता
जीवन में सुख से अधिक दुःख ही है इसमें संशय नहीं है।
There is more sorrow than
जो मित्र की सहायता नहीं करता, वह मित्र नहीं है ।
He is not a friend who
हमारे लिए सभी ओर से कल्याणकारी विचार आयें|
Let noble thoughts come to us from every side.
जब तक मैं जीवित हूं, मुझे आशा है।
While I live, I hope.
सात कदम एक साथ चलने से दोस्ती शुरू होती है।
Friendship starts by walking seven steps.
स्वयं के प्रति सदा सत्यवान बनो।
Be true to yourself always.
आप जैसा सोचते हैं वैसा ही बन जाते हैं।
You become what you believe.
मन ही मनुष्य के बंधन और मोक्ष का कारण है।
The Mind is the only reason for
संतोष के समान कोई सुख नहीं है।
There is no happiness like satisfaction.