उग्रायोग्रास्वरूपाय यजमानात्मने नमः।
महाशिवाय सोमाय नमस्त्वमृत मूर्तये ॥
हे उग्ररूपधारी यजमान सदृश आपको नमस्कार है ।
सोमरूप अमृतमूर्ति हे
योगश्चित्तवृत्तिनिरोधः।
चित्त अर्थात अन्तःकरण की वृत्तियों का निरोध सर्वथा रुक जाना योग है।
Yoga is restraining the mind-stuff