तुम मेरे लिए कुछ भी नहीं हो।
You're incapable for me
सत्पुरुषों की रक्षा करने के लिए, दुष्कर्म करने वालों दुष्टों के विनाश के लिए और धर्म
मनुष्य को चाहिये कि वह सदैव अपने चरित्र का निरीक्षण करता रहे। यह ध्यान बनाये रखे
मैं अपनी माँ को प्रणाम करता हूँ जिसने मुझे जन्म दिया; मैं अपनी अन्य माताओं को
जिसने अपनी बुद्धि को भगवान् के साथ युक्त कर दिया है वह इस द्वन्द्वमय लोक में
हे पृथापुत्र अर्जुन ! उसका न इस लोक में और न परलोक में ही विनाश होता
क्रोध यमराज के समान है और तृष्णा नरक की वैतरणी नदी के समान। विद्या सभी इच्छाओं