शौर्यं तेजो धृतिर्दाक्ष्यं युद्धे चाप्यपलायनम्

शौर्यं तेजो धृतिर्दाक्ष्यं युद्धे चाप्यपलायनम्।
दानमीश्वरभावश्च क्षात्रं कर्म स्वभावजम्।।

शौर्य, तेज, धृति, दाक्ष्य (दक्षता), युद्ध से पलायन न करना, दान और ईश्वर भाव (स्वामी भाव) - ये सब क्षत्रिय के स्वाभाविक कर्म हैं।।

Prowess, splendour, firmness, dexterity and also not fleeing from battle, generosity and lordliness are the duties of the Kshatriyas, born of nature.

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