संन्यास: कर्मयोगश्च नि:श्रेयसकरावुभौ | तयोस्तु कर्मसंन्यासात्कर्मयोगो विशिष्यते || sudhir Posted on March 26, 2022 0 Bhagavad Gita Slokas संन्यास: कर्मयोगश्च नि:श्रेयसकरावुभौ |तयोस्तु कर्मसंन्यासात्कर्मयोगो विशिष्यते ||मुक्ति के लिए तो कर्म का परित्याग तथा भक्तिमय-कर्म दोनों ही उत्तम हैं। किन्तु इन दोनों में से कर्म के परित्याग से भक्तियुक्त कर्म श्रेष्ठ है।Both the path of karma sanyasa and Karma Yoga lead to the supreme goal. But Karma Yoga is the superior karma sanyasa. Share: