न हि कश्चित्क्षणमपि जातु तिष्ठत्यकर्मकृत् | कार्यते ह्यवश: कर्म सर्व: प्रकृतिजैर्गुणै: ॥
निःसंदेह कोई भी मनुष्य किसी भी काल में क्षणमात्र भी बिना कर्म किए नहीं रहता क्योंकि सारा मनुष्य समुदाय प्रकृति जनित गुणों द्वारा परवश हुआ कर्म करने के लिए बाध्य किया जाता है।
Because, no one ever remains even for a moment without doing work. For all are made to work under compulsion by the gunas born of Nature.