Sanskrit बुद्धियुक्तो जहातीह उभे सुकृतदुष्कृते।तस्माद्योगाय युज्यस्व योगः कर्मसु कौशलम्॥ sudhir Posted on July 4, 2020 0 जिसने अपनी बुद्धि को भगवान् के साथ युक्त कर दिया है वह इस द्वन्द्वमय लोक में
Sanskrit पार्थ नैवेह नामुत्र विनाशस्तस्य विद्यते।न हि कल्याणकृत्कश्चिद् दुर्गतिं तात गच्छति॥ sudhir Posted on July 4, 2020 0 हे पृथापुत्र अर्जुन ! उसका न इस लोक में और न परलोक में ही विनाश होता
Sanskrit क्रोधो वैवस्वतो राजा तॄष्णा वैतरणी नदी। विद्या कामदुघा धेनु: सन्तोषो नन्दनं वनम्॥ sudhir Posted on May 23, 2020 0 क्रोध यमराज के समान है और तृष्णा नरक की वैतरणी नदी के समान। विद्या सभी इच्छाओं