श्रीकृष्णजन्माष्टम्यां हार्दाः शुभाशयाः।
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् । धर्मसंस्थापनार्थाय संभवामि युगे युगे ॥
सत्पुरुषों की रक्षा करने के लिए, दुष्कर्म करने वालों दुष्टों के विनाश के लिए और धर्म की पुनः स्थापना करने के लिए मैं (श्रीकृष्ण) प्रत्येक युग में जन्म लेता हूँ।
—–श्रीमद्भगवद्गीता – चतुर्थ अध्याय, श्लोक ८—–
For the deliverance of the good, for the destruction of the evil-doers, for the enthroning of the Right, I am born from age to age.
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