बुद्धियुक्तो जहातीह उभे सुकृतदुष्कृते । तस्माद्योगाय युज्यस्व योगः कर्मसु कौशलम् ॥
जिसने अपनी बुद्धि को भगवान् के साथ युक्त कर दिया है वह इस द्वन्द्वमय लोक में ही शुभ कर्म और अशुभ कर्म इन दोनों का परित्याग कर देता है; इसलिए समत्व बुद्धिरूप योग के लिए प्रयत्न कर; समत्व बुद्धि रूप योग ही कर्म का कौशल है।
One whose intelligence has attained to unity, casts away from him even here in this world of dualities both good doing and evil doing; therefore strive to be in Yoga; Yoga is skill in works.