जो मनुष्य इस आत्मा को हत्या करने वाला समझता है और जो इसे मरा हुआ मानता
जिस तरह एक वीणा बिना तार के और रथ बिना पहियों के नहीं चलाई जा सकती
दयालुता (क्रूर न होना) करुणा , विदवत्ता , सच्चरित्रता , आत्मा संयम, शान्त स्वभाव, ये छह
जो सम्मान करने पर हर्षित न हों और अपमान करने पर क्रोध न करें, क्रोधित होने
जो शिव आकाशगामिनी मन्दाकिनी के पवित्र जल से संयुक्त तथा चन्दन से सुशोभित हैं, और नन्दीश्वर
आकाश से गिरा हुआ पानी जैसे समुद्र में जाता है, उसी प्रकार किसी भी देवता को
न कोई किसी का मित्र है और न शत्रु, कार्यवश ही लोग मित्र और शत्रु बनते
जिसकी कामनाएँ विशाल हैं, वह ही दरिद्र है। मन से संतुष्ट रहने वाले के लिए कौन
दूसरे की पत्नी को अपनी माँ की तरह, दूसरे के धन को मिट्टी के समान, सभी
पिता ही धर्म है, पिता ही स्वर्ग है और पिता ही सबसे श्रेष्ठ तपस्या है। पिता
पानी सभी बीमारियों का इलाज है |
Water is the cure for all diseases.
Source - ऋग्वेद १०.१३७.६
अच्छे अथवा बुरे जैसे कर्म किये हैं उनका फल भोगना ही पड़ेगा ।
Your deeds, good or
बुद्धिमानो का कोई शत्रु नहीं होता।
Wise people have no enemy.
न प्रत्येक पर्वत पर मणि-माणिक्य ही प्राप्त होते हैं न प्रत्येक हाथी के मस्तक से मुक्ता-मणि
Anger is the root cause of mental distress. Anger is the reason for bondage with this
व्यायाम से स्वास्थ्य, लम्बी आयु, बल और सुख की प्राप्ति होती है। निरोगी होना परम भाग्य
मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु आलस्य है, मनुष्य का सबसे बड़ा मित्र परिश्रम है जो हमेशा
संसार में क्षमा (सबसे बड़ा) वशीकरण है, क्षमा से सर्व कार्य सिद्ध हो सकता है |
वाणी की अधिष्ठात्री उन देवी सरस्वती को मैं प्रणाम करता हूँ, जिनकी कृपा से मनुष्य देवता
अपना प्रकाश स्वयं बनो।
Be the source of light by yourself.
जगत् में सब नश्वर है ईश्वर ही शाश्वत है।
Everything is mortal