मा शाम्य प्रतिशोधाग्निं वचोलेखादिभिर्गृहे ।
रणे रक्तसेचनान्तेऽरेर्योद्धाप्नोति जयं शमम्।।

घर पर वाणी अथवा लेखन द्वारा प्रतिशोध की अग्नि को शान्त मत करो। योद्धा शत्रु रण में भूमि के रक्तसेचन से ही जय और शान्ति प्राप्त करता है।

Don’t pacify the rage of ~fire~ revenge by speech or writings at home. A warrior acquires peace and victory only after battlefield is soaked in blood of the enemy.

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