दूरस्थोऽपि न दूरस्थो यो यस्य मनसि स्थित:। यो यस्य हॄदये नास्ति समीपस्थोऽपि दूरत:॥ sudhir Posted on March 26, 2022 0 प्रेम दूरस्थोऽपि न दूरस्थो यो यस्य मनसि स्थित:।यो यस्य हॄदये नास्ति समीपस्थोऽपि दूरत:॥जो जिसके मन में बसता है वह उससे दूर होकर भी दूर नहीं होता और जिससे मन से सम्बन्ध नहीं होता वह पास होकर भी दूर ही होता है॥If someone resides in your heart, he/she is not far even if physically far. If you don’t like someone he/she is distant even if spatially close. Share: