शौर्यं तेजो धृतिर्दाक्ष्यं युद्धे चाप्यपलायनम्।
दानमीश्वरभावश्च क्षात्रं कर्म स्वभावजम्।।
शौर्य, तेज, धृति, दाक्ष्य (दक्षता), युद्ध से पलायन न
अपने द्वारा अपना उद्धार करे, अपना पतन न करे क्योंकि आप ही अपना मित्र है और
माँ का यह स्वरूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है। इनके मस्तक में घंटे का आकार का
केवल अपने आप पर भरोसा रखें।
Trust in only yourself.
Our lions were killed by a pack of wolves in Pulwama. Therefore, we should always be
हे आदिदेव सूर्यनारायण ! में आपको नमस्कार करता हूँ ! प्रकाश देने वाले हे भास्कर, आप
As the drops of water do not last long on the takes delight in leaves of
कामना है कि आपका जीवन आनंद के रंगों से भरा रहे।
चार वेद मौखिक हैं अर्थात पूर्ण ज्ञान हैं एवं पीठपर धनुष्य-बाण हैं अर्थात शौर्य है। अर्थात
घर तो गृहणी के कारण ही घर कहलाता है। बिन गृहणी तो घर जंगल के समान
अपनों के हेतु बिना कुछ किये भी और केवल उनके सान्निध्य से दुःखों को दूर भगाया
देवी सिद्धिदात्री, जिन्हें सिद्ध, गंधर्व, यक्ष, देवताओं, दानवों आदि द्वारा पूजा जाता है, उनके हाथों में