रत्नाकरधौतपदां हिमालयकिरीटिनीम्।
ब्रह्मराजर्षिरत्नाढ्याम वन्देभारतमातम्॥
जिनके पैर समुद्र द्वारा धोए जाते हैं और जो हिमालय से सुशोभित हैं, वह,
नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे ||
namastē sadā vatsalē mātṛbhūmē .
हे वात्सल्यमयी मातृभूमि, तुम्हें सदा प्रणाम!
O Loving Motherland!