नातन्त्री विद्यते वीणा नाचक्रो विद्यते रथः। नापतिः सुखमेधेत या स्यादपि शतात्मजा ॥

जिस तरह एक वीणा बिना तार के और रथ बिना पहियों के नहीं चलाई जा सकती है, उसी तरह एक स्त्री भी बिना पति के खुश नहीं रह सकती, भले ही वह सौ बेटों की मां ही क्यों न हो।

A Veena cannot exist without its strings. A chariot cannot exist without its wheels. Without her husband, a woman can never live happily even though she has a hundred sons.

Source – श्रीमद वाल्मीकि रामायण, अयोध्याकांड – २.३९.२९

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