मृगाक्षि मल्लिकावक्त्रे मन्मन्दमतिमण्डनम् ।
शोभते तत्कलङ्कोपि नेत्रयोस्तव कज्जलम्।।
Hindi Translation
मृग जैसे नयनों वाली और मल्लिका के समान मुख वाली, यह जो तुम्हारा गुणगान अपनी मन्दबुद्धि से कर रहा हूँ वो एक कलङ्क ही है। पर तब भी वह कलङ्क तुम्हारे नेत्रों में काजल के समान सुशोभित हो रहा है।
English Translation
Hey! The one with a jasmine face and eyes that of a deer! Your appreciation by my incapable thought is a blot. Yet, it suits you like a Kohl in your eyes.
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