दशपुत्रसमा कन्या दशपुत्रान्प्रवर्धयन्।
यत्फलं लभते मर्त्यस्तल्लभ्यं कन्ययैकया॥

अकेली कन्या ही दश पुत्रों के समान है। दश पुत्रों के लालन पालन से जो फल प्राप्त होता है वह अकेले कन्या के पोषण से ही प्राप्त हो जाता है।

The only daughter is like ten sons. The result of the upbringing of ten sons is achieved only by the nurturing of the girl.

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