भुजङ्गालङ्काराद्विषबलसमर्थस्य सुमतेर्
गिरेःसूनूः पत्नी प्रतिगमनसङ्कल्पितधिया।
परं शम्भोरंसे निपतति विलोक्य स्वविषयं
स्मितास्यान्नेत्राम्बोरिव परिणतिः रेकभययोः।।
भुजङ्गों के अलङ्कार के कारण, विष और बल में समर्थ, सुमति भगवान् शिव की पत्नी, पर्वत की पुत्री, उनसे दूर जाने का मन बनाकर भी उन्हें अपना अन्तिम आश्रय मान उनके कंधे पर ही गिर पड़ती हैं। शिव जी के सौम्य मुख कर देख कर उनकी शङ्का और भय की ऐसी परिणति हुई जैसी कष्ट से जनितअश्रुओं की आनन्द अश्रुओं में होती है।
Due to the Snakes that garland Shivaji, who is able to digest poison, has best of intellect, the daughter of Mountains, his wife, with her mind already decided on moving away, falls on His shoulders, seeing him as her ultimate resort. Why? Due to the smiling face of Shiva, the doubts and fears change into confidence, just like tears due to sadness change into that of happiness.