समोऽहं सर्वभूतेषु न मे द्वेष्योऽस्ति न प्रियः।

मैं समस्त भूतों में समान रूप से निवास करता हूँ, सबके प्रति सम भाव रखता हूँ, मैं किसी से द्वेष नहीं करता, न किसी से पक्षपात-युक्त प्रेम करता हूँ ।

I (the Eternal Inhabitant) am equal in all existences, none is dear to Me, none hated.

Share:

Leave a Comment

Your email address will not be published.

TOP